लेखनी कहानी -22-May-2022
इंसानियत
इतनी बेचैन ये दुनिया,
देश और जातियों के बीच दरार,
युद्ध का माहौल, खून का बहना,
अपनी दोष की कोई ना करे इकरार।
हुआ करता था वो इक ज़माना,
जब इंसान बहुत था मासूम,
लेकिन, आजकल तो केवल वह
हो जाता है तमन्ना मे गुम।
शौहरत, दौलत, नाम और क्षमता,
इन चारों से रहता आदमी भूखा,
जितनी भी आ जाए चीज़े ये चार,
इंसान को सूझता कुछ और अनौखा।
कैसा होता अगर भगवान ने,
कर दिया होता इंसान को बुद्धिहीन?
वापस पुरातन मे चला जाता वो,
रहता न वह क्षमता के लिए भूखा, रातों दिन।
दुनिया की हर देश बन रही,
एक दूजे के तमाम दुश्मन,
मिसाइल और बम्ब करे काम तमाम,
करके युद्ध का ऐलान।
ईश्वर से एक सवाल है मेरी,
इंसान है सर्वश्रेष्ठ ,
मगर कयो दी भगवान बुद्धि इसको इतनी,
जिस बुद्धि से कर रही वह इस दुनिया को शेष?
हुआ करता था वो इक ज़माना,
जब इंसान, जीने के खातिर करता था लड़ाई,
बस जीने से मतलब था उसका,
ना आती थी इतनी पढ़ाई-लिखाई।
मगर आज की इस युग मे,
जितना ज़्यादा पढ़े-लिखे है लोग,
एक-दूजे से आगे बड़ने की प्रयास,
दूसरे की कामयाबी पर होते उनको शोक।
Seema Priyadarshini sahay
23-May-2022 08:55 AM
बेहतरीन रचना
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Renu
22-May-2022 11:54 PM
👍👍
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